समाज की सामाजिक स्थिति और उसका अनुकूलन: कबीर दास के साहित्य में

Categorization and Social Integration in the Literature of Kabir Das

Authors

  • Lalithamma M.
  • Dr. Okendra .

Keywords:

समाज, सामाजिक स्थिति, अनुकूलन, कबीर दास, साहित्य, आर्यों, धार्म, विभाजन, समस्याएं, वर्गीकरण

Abstract

आर्यों के धार्मिक विभाजन केवल हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन और चार्वाक तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि 'कुंभर' नाई, धोबी, चमार आदि तक भी फैले हुए थे। नौकरियों, व्यवसायों और आचरण की कई जटिल समस्याओं ने वर्ग निर्माण में बहुत योगदान दिया। विभिन्न प्रकार की 'साधना' भी नई जातियों और वर्गों में विकसित हुई। इस प्रकार, हम देखते हैं कि कबीर के समाज में कई वर्गीकरण थे, समाज धर्म विचार, जाति, आश्रम, धन, पद, नैतिक संहिता और आचरण, जो आने वाली आलोचना से मान्यता बदल गई।

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Published

2022-03-01

How to Cite

[1]
“समाज की सामाजिक स्थिति और उसका अनुकूलन: कबीर दास के साहित्य में: Categorization and Social Integration in the Literature of Kabir Das”, JASRAE, vol. 19, no. 2, pp. 94–99, Mar. 2022, Accessed: Jul. 03, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/13798

How to Cite

[1]
“समाज की सामाजिक स्थिति और उसका अनुकूलन: कबीर दास के साहित्य में: Categorization and Social Integration in the Literature of Kabir Das”, JASRAE, vol. 19, no. 2, pp. 94–99, Mar. 2022, Accessed: Jul. 03, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/13798