जे. कृष्णमूर्ति का शिक्षा दर्शन, दार्शनिक विचार एवं उसकी विशेषताएँ

जे. कृष्णमूर्ति का शिक्षा दर्शन और दार्शनिक विचार

Authors

  • अशोक कुमार
  • डॉ. सुनिता यादव

Keywords:

जे. कृष्णमूर्ति, शिक्षा दर्शन, दार्शनिक विचार, व्यक्तित्व, आत्मज्ञान, ईष्वर सम्बन्धित विचार, आदर्शवाद, प्रकृतिवाद, प्रयोजनावाद

Abstract

जे. कृष्णमूर्ति का जन्म 11 मई 1895 में आन्ध्रप्रदेष में मदनपल्ली नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम जिद्दू नारायण था। जिद्दू इनके कुल का नाम था। इनकी माता जिद्दू संजीवम्मा मृदुभाषाणी, धर्मपरायण और कृष्ण भक्त थी। ये अपने माता-पिता की आठवीं संतान थे। आठवीं संतान होने के नाते कृष्ण की तर्ज पर इनका नाम कृष्णमूर्ति रखा गया। इनकी विलक्षणता के कारण इनको आगामी विश्व शिक्षक के रूप में देखा गया। अतः इन्हें और इनके भाई नित्यानन्द को श्रीमती एनीबेसेन्ट ने 1909 में अपने संरक्षण में ले लिया। एनी बेसेन्ट के एक सहयोगी डब्ल्यू लीडाबीटर ने, जो दिव्य दृष्टि वाले व्यक्ति थे, ने देखा की कृष्णमूर्ति मे कुछ बात है जो उन्हें सबसेे अलग करती है, तब कृष्णमूर्ति 13 वर्ष के थे। कृष्णमूर्ति जी के आकर्षण का प्रमुख कारण उनका व्यक्तित्व था। उनमें एक चुंबकीय आकर्षण था जो लोगों को अपनी ओर खींचता था। वास्तव में दर्शन ही मनुष्य को सच्चा सुख और शान्ति दे सकता है क्योंकि वह जीवन के शाश्वत प्रश्नों पर विचार करता है। विज्ञान जिन प्रश्नों का उत्तर देने में असमर्थ है, दर्शन उनका उत्तर सहजता से दे सकता है। दर्शन हमें जीने की कला सिखाता है। दर्शन के निर्देशन से हम एक सुखी, सन्तुष्ट तथा पवित्र जीवन बिता सकते है। अधिकांश विद्वानों ने जीवन में दर्शन तथा धर्म की आवश्यकता को महसूस किया है। मनुष्य अनन्त काल के ब्रह्माण्ड तथा उसकी समस्त वस्तुओं पर विचार करता आया है। वास्तव में यही विचार दर्शन है तथा इन विषयों पर विचार करने वाला व्यक्ति दार्शनिक है। प्रस्तुत अध्ययन जे.कृष्णमूर्ति के शिक्षा दर्शन और दार्शनिक विचारों से सम्बन्धित है। प्रस्तुत अध्ययन में कृष्णमूर्ति जी के सम्पूर्ण शैक्षिक दर्शन एवं दार्शनिक विचारों को व्यक्त करने का प्रयास किया गया है तथा इसके अन्तर्गत कृष्णमूर्ति जी के दर्षन की विशेषताएँ, उनके सत्य की खोज सम्बन्धी विचारों, सत्य के सम्बन्ध में विचार, कृष्णमूर्ति जी के आत्मज्ञान और ईष्वर सम्बन्धित विचार, और आदर्शवाद, प्रकृतिवाद, प्रयोजनावाद, यथार्थवाद, अस्तित्ववाद, परम मुक्तिवाद, मानवतावाद, तथा मानव एवं उसकी परमागति के सम्बन्ध में विचारों की व्याख्या की गई है। जिससे उनके सम्पूर्ण शिक्षा दर्शन और दार्शनिक विचारों को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।

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Published

2022-04-01

How to Cite

[1]
“जे. कृष्णमूर्ति का शिक्षा दर्शन, दार्शनिक विचार एवं उसकी विशेषताएँ: जे. कृष्णमूर्ति का शिक्षा दर्शन और दार्शनिक विचार”, JASRAE, vol. 19, no. 3, pp. 48–58, Apr. 2022, Accessed: Jul. 03, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/13831

How to Cite

[1]
“जे. कृष्णमूर्ति का शिक्षा दर्शन, दार्शनिक विचार एवं उसकी विशेषताएँ: जे. कृष्णमूर्ति का शिक्षा दर्शन और दार्शनिक विचार”, JASRAE, vol. 19, no. 3, pp. 48–58, Apr. 2022, Accessed: Jul. 03, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/13831