कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए संवैधानिक उपबंध
कमजोर वर्ग की देयनीय स्थिति के लिए संवैधानिक उपबंध
Keywords:
कमजोर वर्ग, संवैधानिक उपबंध, भारत, इतिहास, समाजAbstract
भारत का प्राचीन इतिहास कमजोर वर्ग की देयनीय स्थिति का वर्णन भलीभांति रूप से करता है। प्राचीन समय में कमजोर वर्ग की स्थिति तुलनात्मक अत्यधिक गम्भीर थी। हर क्षेत्र में हर प्रकार से समाज का यह तबका पिछड़ा हुआ था तथा अनैक प्रकार से इसका शोषण किया जाता था। इनकी स्थिति इतनी देयनीय थी कि एक सभ्य समाज के सभ्य-मानव का जीवन जीने के लिए इस वर्ग के बारे में सोचना एक अकल्पनीय कल्पना-सा प्रतीत होता था। समाज का यह तबका प्रत्येक क्षेत्र में चाहे वो सामाजिक हो, शैक्षणिक हो, राजनैतिक हो, न्याय की दृष्टि से अत्यधिक पिछड़ा, पीड़ित व दबा- कुचला प्रतीत होता था। इनके उत्थान के लिए अनैक प्रकार से सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आवाजें उठाई एवं इन्हें एक गरिमापूर्ण जीवन प्रदान करने के लिए अथक प्रयास किये गये, जो वर्तमान स्वरूप में भारत के संविधान की उद्देशिका में निहित सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक न्याय की समानता व समाज के प्रत्येक वर्ग में बंधुत्व का भाव स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है।Published
2018-10-01
How to Cite
[1]
“कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए संवैधानिक उपबंध: कमजोर वर्ग की देयनीय स्थिति के लिए संवैधानिक उपबंध”, JASRAE, vol. 15, no. 9, pp. 933–937, Oct. 2018, Accessed: Jul. 08, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/8967
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Section
Articles
How to Cite
[1]
“कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए संवैधानिक उपबंध: कमजोर वर्ग की देयनीय स्थिति के लिए संवैधानिक उपबंध”, JASRAE, vol. 15, no. 9, pp. 933–937, Oct. 2018, Accessed: Jul. 08, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/8967