हरिशंकर आदेश की सप्तशतियों में चित्रित प्रेम के विविध प्रकार

Exploring the Various Forms of Love in the Saptaśatīs of Harishankar Adesh

Authors

  • Updesh Devi

Keywords:

हरिशंकर आदेश, सप्तशतियों, चित्रित, प्रेम, विविध प्रकार

Abstract

मनुष्य सामाजिक प्राणी है। वह अपने विचारों को दूसरे तक पहुँचाना चाहता है और दूसरों के विचारों को जानने की जिज्ञासा रखता है। भावों-विचारों के आदान-प्रदान के क्रम ही एक-दूसरे के प्रति लगाव का भाव उत्पन्न करते हैं। यह लगाव ही परिवृद्धित होकर प्रेम की संज्ञा प्राप्त करता है। प्रेम मानव जीवन का मूलाधार है। प्रेम एक भावात्मक अनुभूति है जिसे शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त कर पाना संभव नहीं है। यह आंतरिक अनुभूति है। मानव का अस्तित्व प्रेमाश्रित है। प्रेम-भावना मानवीय हृदय तक सीमित न रहकर सृष्टि के काण-कण में व्याप्त है, जिसका अनुभव आत्मिक होता है।

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Published

2018-11-01

How to Cite

[1]
“हरिशंकर आदेश की सप्तशतियों में चित्रित प्रेम के विविध प्रकार: Exploring the Various Forms of Love in the Saptaśatīs of Harishankar Adesh”, JASRAE, vol. 15, no. 11, pp. 199–202, Nov. 2018, Accessed: Jul. 08, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/9039

How to Cite

[1]
“हरिशंकर आदेश की सप्तशतियों में चित्रित प्रेम के विविध प्रकार: Exploring the Various Forms of Love in the Saptaśatīs of Harishankar Adesh”, JASRAE, vol. 15, no. 11, pp. 199–202, Nov. 2018, Accessed: Jul. 08, 2024. [Online]. Available: https://ignited.in/jasrae/article/view/9039