Main Article Content

Authors

Yudhvir Singh

Arun Kumar

Babita Rani Tyagi

Abstract

भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ, तत्कालीन स्थिति में देश खाद्यान एवं उपभोक्ता वस्तुओं के अभाव से गुजर रहा था। देश में औद्योगिक इकाईयों की मात्रा सीमित होने से औद्योगिक उत्पादन अत्यन्त न्यून बना हुआ है तथा देश में सामाजिक सुविधायें भी केवल नाम मात्र की थी। देश की अर्थव्यवथा का मूल आधार कृषि था। अप्रैल 1951 से भारत सरकार ने आर्थिक नियोजन को प्राथमिकता देते हुये पंचवर्षीय योजनाओं का श्री गणेश किया। इन योजनाओं के माध्यम से सरकार द्वारा औद्योगिक स्थापना के लिये आवश्यक संरचना का विकास राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर किया गया। अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओ से ऋण व सहायता प्राप्त की गई। विदेशी पूँजी भी आमंत्रित की गयी। इस प्रकार देश में सार्वजनिक उद्योगों का विकास किया गया। उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन व वितरण पर प्रतिवन्ध लगाये गये। कृषि उत्पादन को बआर्थिक नीति (Economic Policy) से आशय उन सरकारी नीतियों से होता है जिनके द्वारा किसी देश के आर्थिक क्रियाकलापों का नियमन होता है। आर्थिक नीति के अन्तर्गत करों के स्तर निर्धारित करना, सरकार का बजट, मुद्रा की आपूर्ति, ब्याज दर के साथ-साथ श्रम-बाजार, राष्ट्रीय स्वामित्व, तथा अर्थव्यवस्था में सरकार के हस्तक्षेप के अनेकानेक क्षेत्र आते हैं। इस शोध अध्ययन का उद्धेष्य यह भी है कि आर्थिक उदारीकरण की नीति का कृषि विपणन में उसकी भूमिका का अध्ययन किया जाये।

Downloads

Download data is not yet available.

Article Details

Section

Articles