Paryavaran Shiksha Ke Prati Rajkiya Mahavidhyalayon Ke Vidhyarthiyon Ka Rujhaan Ek Savechhan दशा और दिशा: राजकीय महाविधालयों में पर्यावरण शिक्षा के रुझान का सर्वेक्षण
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पर्यावरण तथा मानव का सम्बंध उतना ही पुराना है जितना मानव का उढ्भब तथा विकास परन्तु मानव ने अपने बौद्धिक विकास के साथ पर्यावरण से बदलते हुए सम्बंध बनाए है, जिनसे पर्यावरण को कभी हानि हुई है, तो कभी लाभ हुआ है I मानव के साथ पर्यावरण का सम्बंध समय के साथ –साथ ओर गहरा होता गया क्योकि मानव के हर पहलू पर्यावरण के साथ जुड़े है यहाँ तक मानव की मूलभूत आबशयकता एवम अन्य आबशयकताये यहाँ तक मानव की आर्थिक क्रिया कलाप,आहार, रंग रूप, कद काठी आदि सभी I हम यह कह सकते की आदि मानव से लेकर मेघावी मानव के सफर तक मानव ने पर्यावरण के साथ किसी न किसी रूप मे सम्बंध जरूर बनाए है I माँ के रूप में पर्यावरण ने मानव को सब कुछ दिया है परन्तु मानव ने जिस थाली मे खाया उसी माँ रूपी पर्यावरण मे छेद किया क्योकि मानव की संख्या बढने और विकास के कारण आज पर्यावरण का विनाश हो रहा है तथा पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा या खराब हो रहा है जिसका प्रत्यक्ष एवम परोक्ष रूप मे प्रभाव मानव पर पड़ रहा है और पर्यावरण पर भी पड़ रहा है इसलिये पर्यावरण को सुरक्षित एवम संरक्षण के लिये मानव के दुवारा प्रयत्न किया जा रहा है तथा आज सभी देशो मे और भारत मे पर्यावरण शिक्षा को लागू करने का प्रयास किया जा रहा जो ढकोसला मात्र ही है आज देश की सुप्रीम कोर्ट एवम विश्वविधालयों ने पर्यावरण शिक्षा को अनिवार्य शिक्षा के रूप मे लागू कर दिया जिससे पर्यावरण का संतुलन हो सके परन्तु यह शिक्षा मात्र कागजी हो कर रह गई है इसी पर राजकीय महाविधालय स्तर पर एक सर्वेक्षण किया गया जिसमे पर्यावरण शिक्षा के प्रति राजकीय महाविधालयो के विद्यार्थीयो का क्या रुझान है I आज इस पर्यावरण शिक्षा को सही दिशा और दशा देने की जरूरत है जिससे इस पृथ्वी पर पर्यावरण और मानव जायदा समय तक साथ –साथ चल सके I
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