अमृता प्रीतम का व्यक्तित्व एवं कृतित्व अमृता प्रीतम: एक मशहूर हिन्दी साहित्यकार
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अमृता प्रीतम साहित्य जगत् में एक ऐसी ‘शख्सियत रही हैं जिनकी लेखनी ने भाषाओं की सीमाओं को तोड़ा और यह प्रमाणित किया कि लेखक की ‘शैली भाषा, बोली देश की सीमाओं में बाँधी नहीं रहती। साहित्य में उनके द्वारा सृजित रचनाओं ने सभी वर्ग के पाठकों को आकर्षित किया। उनकी लेखन-’शैली पाठकों के कोमल मन पर सीधा प्रभाव छोडती है। अमृता प्रीतम हिन्दी साहित्य जगत में एक बहुचर्चित नाम है। साहित्य में उनके द्वारा सृजित रचनाओं ने पाठकों को काफी आकर्षित किया है। उनकी लेखन-’शैलीपाठकों के कोमल मन पर सीधा प्रभाव छोड़ती है। अमृता प्रीतम हिन्दी साहित्य मे एक बहुचर्चित नाम है। उनका बचपन और प्रारंभिक जीवन भले ही विभिन्न प्रकार की कठिनाईयों के साथ गुजरा है और उन्हें मातृत्व सुख से वंचित रहना पड़ा है। बावजुद इसके अमृता प्रीतम साहित्य जगत में अपनी मुकाम बनाने में काफी सफल रही है। अमृता प्रीतम ने साहित्य लेखन में शृंगार रस की कविताओं से पदार्पण किया। अमृता की विराट प्रतिभा का दर्शन उनके साठ वर्षों तक साहित्य की सेवा और सौ से अधिक पुस्तकों, कहानियों, कविताओं में होता है। अमृता प्रीतम की लेखनी, उपन्यास, कहानी, कविताओं में समान रूप से दखल रखती थी। उनकी लेखन-’शैली ने उनकी हर कृति को अमर कर दिया। अमृता प्रीतम की हिन्दी भाषा में उनके स्वयं के द्वारा रूपातंरित 28 उपन्यास, 15 कथा-संग्रह और 23 कविता सकंलित हैं। अमृता प्रीतम के उपन्यास, कहानियाँ और कविताओं के न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी लाखों पाठक रहे हैं। हिन्दी पाठकों के बड़े समूह ने अमृता प्रीतम के उपन्यासों को, अमृता प्रीतम की कविताओं को जिसमें देश के बँटवारे का दर्द मुखरित था जो वह मूल रूप से पंजाबी भाषा में रची गई थी, को काफी सराहा है।
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